अभियान के संबंध में
''भारतीय शासन व्यवस्था परिवर्तन मंच'' की स्थापना इस पृष्ठभूमि में की गयी है कि जो समस्यायें, यथा राजनीति एवं राजनैतिक चरित्र में ह्रास, सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार, गरीबी और गरीब-अमीर के बीच बढती खाई, सामाजिक अशान्ति तथा अन्तर्विद्रोह आदि, जिनसे भारत ग्रसित है, वे उस शासन व्यवस्था की उपज हैं जिसे स्वतंत्र भारत ने अपने कार्यकलापों के प्रबंधन के लिये अपनाया। यह व्यवस्था मूलतः वही है जिसे अंग्रेजों ने एक उपनिवेश के शोषण एवं इसकी जनता के नैतिक भ्रष्टीकरण करने के लिये बनाया और लागू किया था। जब तक इस व्यवस्था को बदल कर ऐसी व्यवस्था नहीं लागू की जाएगी जिसकी वकालत महात्मा गाँधी अपने जीवन के अन्तिम क्षणों तक करते रहे, जो वास्तविक रूप में लोकतांत्रिक है, और जिसमें राष्ट्र की सम्प्रभुता कार्य रूप में जनता में निहित रहती है, तब तक इन समस्याओं के समाधान के सभी प्रयास अवश्यमेव असफल होते रहेंगे जैसा कि अभी तक होता रहा है। एक बार यदि यह व्यवस्था परिवर्त्तन कर दिया जाय तो भारत न केवल देश को दुर्बल करती इन समस्याओं से निजात पा लेगा, बल्कि विश्वमंच पर अपनी प्रतिभा, संसाधन और हजारों वर्ष की समृद्ध संस्कृति के अनुरूप एक नये भारत का उदय होगा।
यह कार्य निश्चय ही चुनौतीपूर्ण है, पर आधुनिक जगत में जहाँ विज्ञान एवं तकनीक का आश्चर्यजनक विकास हुआ है, विशेष कर सूचना एवं संचार के क्षेत्र में, यह अवश्य साध्य है।
- राष्ट्रीय संकल्प का पहला अंक
- राष्ट्रीय कायाकल्प का दूसरा अंक
- राष्ट्रीय कायाकल्प का तीसरा अंक
- राष्ट्रीय कायाकल्प का चौथा अंक
- राष्ट्रीय कायाकल्प का पांचवाँ अंक
- राष्ट्रीय कायाकल्प का छठा अंक
- राष्ट्रीय कायाकल्प का सातवाँ अंक
''भारतीय शासन व्यवस्था परिवर्त्तन विचार मंच'' की कल्पना उक्त उद्देश्य को समर्पित एक सांगठनिक माध्यम के रूप में की गयी है।