कार्य कलाप
इस अभियान के प्रथम चरण में संचालित किये जाने वाला कार्य कलाप दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और तथ्यों तथा आंकड़ों के विश्लेषण के द्वारा अभियान के वैचारिक आधार को दृढता प्रदान करना - इसके लिये पैनल विमर्श, कार्यशाला तथा समूह विमर्श आयोजित किये जा सकते हैं। इन कार्य कलापों का संचालन विचार मंच के केन्द्रीय कार्यालय तथा इस के अन्य क्षेत्रीय या स्थानीय कार्यालयों द्वारा अपने तत्त्वाधान में अन्य सम्बद्ध संगठनों के सहयोग या सहभागिता से किया जा सकता है।
- इस मंच के विचारों का प्रचार-प्रसार, इन में जन जागृति एवं शिक्षा तथा जनता को अभिप्रेरित करना - विभिन्न माध्यमों से यह कार्य किया जा सकता है, जैसे मुद्रण तथा श्रव्य-दृश्य माध्यमों से, इंटरनेट से, टेलीफोन-मोबाइल संचार माध्यम से और बैठकों और सम्मेलनों के द्वारा जनता से सीधा सम्पर्क स्थापित कर।
इस अभियान का वैचारिक आधार कई दशकों के लम्बे अन्तराल में भारतीय जीवन और समाज की परिस्थितियों के बोध और अनुभव के प्रति संवेदनशीलता से अभिप्रेरित है। विशेषतया, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास के विश्लेषणात्मक अध्ययन, औपनिवेशिक भारत के रोग की जड़ क्या थी और तत्कालीन भारत को इस रोग से कैसे मुक्त किया जा सकता था, भारत के लिए स्वतंत्रता का असली अर्थ उनके लिए क्या था और भारत की दयनीय दशा से चिन्तित लोगों को क्या होना चाहिए और फिर ऐसी स्वतंत्रता कैसे लाई जा सकती है, इन बातों के सम्बंध में गाँधी जी की विलक्षण समझ और सोच ने अभियान की विचार धारा को प्रेरित और सम्पुष्ट किया है। ये विचार अमेरिका जैसे वास्तविक रूप में लोकतांत्रिक देश की शासन व्यवस्था को नजदीक से देखने और अनुभव करने से और भी सुदृढ़ हुए हैं। इस से यह निस्संदेह प्रमाणित होता है कि स्वतंत्र भारत के लिए गाँधी जी जिस शासन व्यवस्था की बात और वकालत करते थे वह अमेरिका जैसे देश में कुशलतापूर्वक कार्यशील है।
उपर्युक्त रूप से विकसित इस अभियान का यह वैचारिक आधार पहली श्रेणी के कार्यकलाप में होने वाली गतिविधियों से सतत् रूप से सम्पुष्ट होता रहेगा। अभी तक इस श्रेणी की कुछ गतिविधियां जैसे सितम्बर 2010 में पटना के तारामंडल सभागार में आयोजित ''स्वतंत्र भारत की शासन व्यवस्था'' विषय पर बुद्धिजीवियों का खुला अधिवेशन और 26 फरवरी 2011 को पटना में अनुग्रह नारायणर सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान में आयोजित विमर्श समूह सम्पन्न की जा चुकी हैं, जिनमें भागीदारों से लाभप्रद विचार विनिमय हुआ। इस तरह की और कार्यशालाएं, विमर्श समूह, पैनल विमर्श और विचारों के आदान-प्रदान के सत्र देश के विभिन्न भागों में तथा लोगों के विभिन्न समूहों में आयोजित किए जाएँगे।
जहाँ तक दूसरी श्रेणी के कार्य कलाप का सम्बंध है, इस अभियान के विचारों और वैचारिक आधार को भारत के गाँवों, कस्बों और शहरों में रहने वाले लोगों तक पहुँचाना इसका उद्देश्य है। यानी भारत के आम लोगों को यह बोध कराना कि उनके जीवन और जीवन यापन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाली देश की विकट समस्याएं और दयनीय स्थिति के मूल में क्या है, इस अभियान के विभिन्न आयामों के प्रति, उनका शिक्षित करना, उनका शिक्षित करना (अभियान के लक्ष्य तक पहुँचने का रास्ता क्या है उसमें) और फिर इस वांछित परिवर्त्तन लाने में उनकी जो अनिवार्य भूमिका है उसे निभाने के लिए उन्हें प्रेरित करना। अभी जो स्थिति है और इस अभियान का जो कार्यक्रम है, उनमें भारत की जनता ही परिवर्त्तन का मुख्य वाहक और अभिकर्त्ता है। इस अभियन के माध्यम से जनता को ही इसके लिए सशक्त करना है।
अभियान की इन गतिविधियों के कुशल सम्पादन में सूचना और संचार प्राद्यौगिकी में अभूतपूर्व विकास से काफी सहूलियत होगी। इस काम के लिए संचार केसभी माध्यमों यथा मुद्रण माध्यम (पुस्तक, पत्रिका, समाचार पत्र, पुस्तिका आदि) श्रव्य और (रेडियो) दृश्य माध्यम (रेडियो, टीवी) इलेक्ट्रोनिक माध्यम (कम्प्यूटर, इंटरनेट, टेलीफोन, मोबाइल) और लोगों से सीधा सम्पर्क के लिए बड़ी और छोटी जनसभाओं का भरपूर उपयोग किया जायेगा। अभी तक ऐसी कुछ जनसभाएं आयोजित की जा चुकी हैं।
इन्हीं गतिविधियों के क्रम में यह वेबपेज भी बनाया और चालू किया गया है। इस वेबपेज का निरन्तर , सुधार, अद्ययतन और विस्तार किया जाता रहेगा।
भारतीय शासन व्यवस्था परिवर्त्तन मंच का प्रारंभिक तौर पर हिंदी और अंग्रेजी में एक मुखपत्र प्रकाशित करने की योजना है। बाद में इसे भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रकाशित किया जायेगा। इस मुखपत्र के माध्यम से इस अभियान के विभिन्न आयामों और गतिविधियों से लोगों को सूचित और शिक्षा किया जायेगा।
पहले चरण के कार्यान्वयन के एक समुचित पड़ाव पर इस अभियान के दूसरे चरण, जिसमें राजनैतिक कार्यकलाप है, को शुय किया जायेगा। तब तक भारत की जनता इस अभियान की शिक्षा और अभिप्रेरण का एक ठोस आधार तैयार हुआ रहेगा। इसके बाद भी इस मंच के प्रथम चरण की गतिविधियां चलती रहेंगी, जो राजनैतिक कार्यकलाप को मार्गदर्शन और वैचारिक पोषण के लिए एक विचारमंडल के रूप में कार्यशील होगी।